Required Points for Employment Contract एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट के आवश्यक बिंद

*⚙एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट के आवश्यक बिंदु⚙*सौजन्य

*eBuddha Library*
एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट अधिकांश बिजनेस के द्वारा बनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह ज़रूरी है कि एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट को एक प्रोफ़ेशनल से बनवाया जाए ताकि कोई महत्वपूर्ण बिंदु छूटने की कोई आशंका न बनी रहे। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि हर एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में कौन से ज़रूरी बिंदु मेंशन होने चाहिए।
एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में हों ये सब बिंदु

*1. कर्तव्य और ज़िम्मेदारी*
एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में कर्मचारी के कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ स्पष्ट रूप से मेंशन होनी चाहिए। इसके अलावा एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में यह भी क्लास जुड़ा हुआ होना चाहिए कि जब वह आपके लिए जॉब करेगा और कहीं जॉब नहीं करेगा।

*2. कार्य अवधि और दिन*
एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट या अप्वाइंटमेंट लेटर में कार्य अवधि (काम के घंटे‌) और दिनों की संख्या अवश्य मेंशन होनी चाहिए। ओवर टाइम के लिए पेमेंट का टर्म भी मेंशन होना ज़रूरी होता है। काम के घंटे शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में दिए रहते हैं। इसलिए कॉन्ट्रैक्ट बनाते समय उसके अनुरूप ही कार्य अवधि लिखी होनी चाहिए।

*3. वेतन और भत्ते*
एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में कर्मचारी को मिलने वाली सैलरी साफ़ साफ़ मेंशन होनी चाहिए। अगर कर्मचारी किसी प्रकार कोई हाउस, ट्रैवेल या अन्य एलाउंस के लिए इलिजिबल है तो वह भी मेंशन करना चाहिए। अगर आवश्यकता हो तो सैलरी इंक्रीमेंट, पर्क या ईएसओपी के बारे में मेंशन कर देना चाहिए। अधिकांश एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट निम्न रूप से अप्वाइंटमेंट लेटर में सैलरी ब्रेकअप की जानकारी देते हैं –

*टेक होम सैलरी की गणना*(1) बेसिक सैलरी + एचआरए + डीए (2) कंवेयंस + मेडिकल ‌+ अन्य स्पेशल एलाउंस (3) पीएफ़ में एम्पलॉयर का भाग (बेसिक सैलरी का 12%), अगर मान्य हो (4) ईएसआइसी में एम्पलॉयर का भाग (कुल सैलरी का 4.75%), अगर मान्य हो (5) पीएफ़ में एम्पलॉई का भाग (बेसिक सैलरी का 12%), अगर मान्य हो (6) ईएसआइसी में एम्पलॉई का भाग (कुल सैलरी का 1.75%), अगर मान्य हो (7) ग्रॉस सैलरी = (1) + (2) (8) कॉस्ट टू कम्पनी (सीटीसी) = (1) + (2) + (3) (9) टेक होम सैलरी = (1) + (2) – (5+6)

*4. बोनस*
अगर एम्लॉयर बोनस पॉलिसी फ़ॉलो करता है, तब एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में इसे भी अवश्य मेंशन करना चाहिए। बोनस किन परिस्थितियों में दिया जाएगा और कितना दिया जाएगा इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।

*5. छुट्टी की पॉलिसी*
एम्पलॉयर की लीव पॉलिसी और एम्पलॉई का एंटाइटलमेंट कि उसे छुट्टी का पूरा पैसा मिलेगा या फिर आधा, एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में ये भी लिखा जाना चाहिए। कॉन्ट्रैक्ट में अर्न्ड लीव, कैज़ुअल लीव, मैटनिटी लीव, पेटरनिटी लीव और सिक लीव जैसी छुट्टियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। भारत में अधिकांश एम्पलॉयर 10 दिन की अर्न्ड लीव और 12 दिन की कैज़ुअल लीव देते हैं।

*6. एम्पलॉयमेंट से टर्ममिनेशन* Required Points for Employment Contract
ये बहुत आवश्यक है कि सभी एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में कॉन्ट्रैक्ट टूट जाने का क्लाज़ स्पष्ट रूप से दिया गया हो। उसमें बताया जाना चाहिए किस आधार और किन शर्तों पर एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट टूट सकता है। एम्पलॉयमेंट से टर्मिनेशन भारत मे बहुत से एम्पलॉयमेंट लाज़ की परिधि में आता है। अत: आवश्यक हो जाता है कि एम्पलॉयमेंट से टर्मिनेशन के बारे में एम्पलॉयमेंट लायर से कंसलटेशन ले लेना चाहिए, ताकि यह काम क़ानूनी दायरे में हो।

*7. गोपनीयता*
अगर एम्पलॉई के कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ ऐसी पोज़िशन पर हैं, जहाँ उसे कम्पनी के ट्रेड सीक्रेट और गोपनीय जानकारियाँ मालूम रहती हैं तो कॉन्ट्रैक्ट में गोपनीयता का क्लाज़ अवश्य जुड़ा होना चाहिए। अनेक परिस्थितियों में जहाँ आवश्यकता रहती है, एम्पलॉय नॉन-डीसक्लोज़र एग्रीमेंट अलग से करवाया जाता है।

*8. सेवा काल*
अगर एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट निश्चित समयावधि के लिए हो तो वह समयावधि मेंशन होनी चाहिए, और कॉन्ट्रैक्ट के रिन्यू होने की परिस्थितियों की जानकारी भी दी जानी चाहिए।

SHARE THIS

->"Required Points for Employment Contract एम्पलॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट के आवश्यक बिंद"

Search engine name