*⚙पर्यटन उद्योग⚙*सेवा क्षेत्र पर्यट
पर्यटन किसी भी समाज के लिए हमेशा से सामाजिक आयोजन रहा है। यह प्रत्येक
मनुष्य की प्राकृतिक इच्छा से अभिप्रेत होता है यह नए अनुभव, साहसिक कार्य, शिक्षा, ज्ञान
और मनोरंजन के लिए होता है। एक दूसरे की संस्कृति और मूल्य को समझने के लिए तथा
अन्य सामाजिक, धार्मिक और व्यावसायिक हितों की पूर्ति के
लिए इसके परिणाम बहुत से पर्यटक और मूल संरचना विकास हुआ है। यह वैश्विक नियमित
परिवहन नेटवर्क विशेषकर रेल और जलमार्ग ने लोगों को विदेशी भूमि में जाने के लिए
प्रोत्साहित किया है। यह देश के विभिन्न प्रदेशों और विभिन्न देशों के बीच व्यापार
और वाणिज्य को सुकर बनाया है। इसके परिणामस्वरूप वर्षों से इसने सेवा उद्योग का
दर्जा पाया है।
चूंकि पर्यटन एक सबसे बड़ा उद्योग ह यह राष्ट्र की विकास योजना के
सामाजिक आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने में मुख्य भूमिका निभाता है। यह एक महत्वपूर्ण
सेवा उन्मुखी क्षेत्रक है, जो सकल राजस्व और विदेशी
मुद्रा के अर्जन की दृष्टि से वैश्विक रूप से त्वरित विकास किया हे। यह सेवा
प्रदाताओं का सम्मिश्रण है सरकारी और निजी दोनों की इसमें संयुक्त सेवा है जिसमें
यात्रा एजेंट और दौरा संचालक, हवाई भू और समुद्री परिवहन
संचालक, गाइड, होटलों के मालिक,
अतिथि गृह और इन के स्वामी रेस्तरां और दुकानें आदि शामिल हैं। वे
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के विविध हितों और आवश्यकताओं को पूरा करने में
लगे हुए हैं। पर्यटन उद्योग, पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़ाने,
अधिक रोजगार का सृजन करने (विशेषकर दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों में)
के लिए प्रोत्साहन देता है तथा मूल संरचना सुविधाएं जैसे सड़क, दूरसंचार और चिकित्सा सेवाओं का अर्थव्यवस्था में विकास करता है।
भारत में, पर्यटन उद्योग का विशेष स्थान
हैं चूंकि इसमें न केवल उच्च दर पर विकास करने की क्षमता है अपितु अपने
अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष संबंधों और अंतर क्षेत्रीय सहक्रियाशीलताओं के माध्यम
से कृषि, बागवानी, कुक्कुट पालन,
हस्तशिल्प, परिवहन, निर्माण
आदि के साथ अन्य आर्थिक क्षेत्रकों को भी अभिप्रेरित करता है। अर्थात यह देश में
दूसरे उद्योगों को बल प्रदान कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय ऋण चुकाने में सहायता
करने के लिए पर्याप्त धन का अर्जन कर सकता है। यह देश के लिए तीसरा सबसे बड़ा
निवल विदेशी मुद्रा का अर्जक है। यात्रा और पर्यटन क्षेत्र राष्ट्रीय अखंडता में
योगदान देता है, प्राकृतिक और सांस्कृतिक माहौल का संरक्षण
करता है तथा लोगों का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन समृद्ध बनाता है। इसके पास स्थायी
रोजगार के अवसरों का सृजन करने की क्षमता है विशेषकर अकुशल और अर्ध कौशल कर्मगारों
के लिए और देश में गरीबी हटाने की क्षमता है। इसलिए इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का
मुख्य क्षेत्रक माना जाता है।
भारत में विशिष्ट जैव-विविधता, वन नदियां,
पहाड़ों, ऐतिहासिक स्थानों, मंदिरों और तीर्थ स्थलों, गुफा, संग्रहालय, स्मारक और संस्कृति की भरमार होने की
वजह से उद्योग में उच्च वृद्धि हासिल करने की अपार क्षमता है। इस क्षेत्रक में
चुनौतियां इन्हें सफलतापूर्वक उनके मूल रूप में संरक्षण करने में है और उन्हें
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए अभिगमनीय बनाने में है। भारत विभिन्न
श्रेणी के पर्यटन उत्पाद प्रदान करता है जैसे कि साहसिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन (आयुर्वेद और भारतीय औषध के अन्य रूप) परिस्थितिकी
पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन, क्रूज पर्यटन
बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और
प्रदर्शनी (एमआईसीई) पर्यटन आदि।
पर्यटन मंत्रालय देश में पर्यटन के
विकास और संवर्धन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता हैं। यह पर्यटन मूल
संरचना में गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों
और निजी क्षेत्रक के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने और कार्यक्रम बनाने तथा उनके
प्रयासों का समन्वयन करने एवे अनुपूरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह निजी निवेशों को उत्प्रेरित करता संवर्धनात्मक और विपणन प्रयासों को सुदृढ़
बनाता और प्रशिक्षित जनशक्ति संसाधन प्रदान करने में सहायता करता है। घरेलू बाजार
के संबंध में मंत्रालय का लक्ष्य विभिन्न प्रदेशों की सांस्कृतिक और प्राकृतिक
सुंदरता, तीर्थ स्थलों और विभिन्न नए पर्यटन उत्पादनों का
लोकप्रिय बनाना हैं। मंत्रालय का एक सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम है अर्थात 'भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी)' यह इसके विभिन्न
कार्यों को करने के लिए है इसके साथ ही साथ यह निम्नलिखित स्वायत्तशासी संस्थाओं
के साथ भी कार्य करता है :-भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान
(आईआईटीटीएम) औरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाटर स्पोर्टस (एनआईडब्ल्यूएस)आईआईटीएम के साथ
मिला दिया गया है;नेशनल काउंसिल फॉर होटल मेनेजमेंट एण्ड
केटरिंग टेक्नोलॉजी (एनसीएचएमसीटी) औरइंस्टीट्यूट ऑफ
होटल मेनेजमेंट (आईएचएम)।
मंत्रालय अनके नीतिगत पहलें और प्रोत्साहन दे रहा है ताकि क्षेत्रक
का विकास तेज किया जा सके और विश्व भर से निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। इनमें
से अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्यटन नीति (इसे वर्ष 2002 में तैयार किया गया), है जिसका लक्ष्य क्रमबद्ध तरीके से भारत में पर्यटन का विकास करना है।
इसमें एक ढांचा की परिकल्पना है जिसके अंतर्गत सरकार बुनियादी मूल संरचना के सृजन
करने में सहायता करती है। और पर्यटन विकास के लिए वैधानिक ढांचा तैयार करने में
सहायता करती है। जब कि निजी क्षेत्रक गुणवत्ता उत्पादन प्रदान करने में सहायता
करता है और सक्रिय सहायता सेवा देता है। नीति के मोटे लक्ष्य निम्नलिखित हैं :-
पर्यटन को आर्थिक विकास के मुख्य इंजन के रूप में स्थिति प्रदान
करनारोजगार सृजन, आर्थिक विकास और ग्रामीण पर्यटन
को गति देने के लिए पर्यटन के प्रत्यक्ष और बहुगुणक प्रभाव का वर्धन करना;पर्यटन विकास के लिए मुख्य संचालक के रूप में घरेलू पर्यटन पर बल
देना।गंतव्य के रूप में मुखरित होता है वैश्विक व्यापार और विशाल दोहन न की गई
भारत की क्षमता से लाभ उठाने में भारत को वैश्विक ब्रांड की स्थिति में लाना।निजी
क्षेत्रक की महत्वपूर्ण भूमिका मानना जिसमें सरकार सक्रिय सुसाध्यकर्ता और उत्प्रेरणा
के रूप में कार्य करती है।एकीकृत पर्यटन परिपथ का सृजन और विकास करना जो भारत की
अनोखी सभ्यता, धरोहर पर आधारित हो और संस्कृति पर राज्यों,
निजी क्षेत्रकों और अन्य एजेंसियों की साझेदारी में हो; औरयह सुनिश्चित करना कि भारत आने वाले पर्यटक शारीरिक रूप से बलशाली हों
मानसिक रूप से खुशहाल हों, सांस्कृतिक समृद्धि मिले,
आध्यात्मिक रूप से ऊपर उठें और भारत को अपने अंदर से अनुभव करें।इन
लक्ष्यों के साथ पर्यटन मंत्रालय मोटे तौर पर निम्नलिखित योजनाओं/कार्यक्रमों का
कार्यान्वयन करता रहा है/किया है :-उत्पाद/मूलसंरचना विकास और गंतव्य और परिपथ
के लिए योजनापर्यटन परिपथ के एकीकृत विकास के लिए योजनाबड़ा राजस्व सृजन
परियोजनाओं के लिए योजनासेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण की योजना
(सीबीएसपी)ग्रामीण
पर्यटन के लिए योजनापर्यटन संबंधी आयोजनों के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता के
लिए योजनासूचना प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता की
योजनाअवसंरचना विकास में सरकारी निजी भागीदारी की सहायता के लिए योजना (वयवहार्य
अंतर निधियन)बाजार विकास सहायता के लिए योजना (एमडीए)पूंजी आर्थिक सहायताटाइम शेयर
रिसोर्टस (टीएसआर)बाजार अनुसंधान - व्यावसायिक सेवाएं
इसके अतिरिक्त, मंत्रालय प्रत्येक वर्ष
यात्रा और पर्यटन उद्योग के विभिन्न खंडों को 'राष्ट्रीय
पुरस्कार' देने की योजना चलाते आए है। ये पुरस्कार राज्य
सरकारों, वर्गीकृत होटलों, धरोहर
होटलों, अनुमोदित यात्रा एजेंटों दौरा संचालकों और पर्यटक
परिवहन संचालकों को व्यक्तियों और अन्य निजी संगठनों को अपने संबंधित क्षेत्रों
में उनकी निष्पादन की सराहना में दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए सबसे अच्छा साहसिक
दौरा संचालक के लिए पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ घरेलू दौरा
संचालक, अति नवपरिवर्तनीय दौरा संचालक, सर्वश्रेष्ठ एमआईसीई संचालक, सर्वश्रेष्ठ पर्यटक
परिवहन संचालक, विभिन्न वर्गों में सर्वश्रेष्ठ होटल आदि।
होटल प्रबंधन संस्थान के श्रेष्ठ छात्रों के लिए भी पुरस्कार दिए जाते हैं तथा
भारतीय पर्यटन संस्थान और दौरा प्रबंधन के लिए भी दिए जाते हैं। पुरस्कार प्राप्त
करने वालों का चयन इस प्रयोजन से गठित समिति द्वारा किया गया है। मंत्रालय का
निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
हाल के वर्षों में मंत्रालय द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों के कारण
इसमें प्रवासी बाजारों में इंक्रेडिबल इंडिया अभियान के द्वारा भारत का संवर्धन
करना शामिल है, के कारण विदेशी पर्यटकों के आगमन में उल्लेखनीय
व़ृद्धि हुई है। अतुल्य भारत बहु पक्षीय संवर्धनात्मक अभियान है, विश्व भर के यात्रियों के लिए मनपसंद पर्यटन गंतव्य के रूप में देश की
स्थिति बनाने के लिए मंत्रालय द्वारा चलाया गया था। इन सभी प्रयासों के परिणाम स्वरूप
अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आगमन में भारत की हिस्सेदारी जो वर्ष 2004 में 0.46 प्रतिशत की वर्ष 2005 के दौरान बढ़ कर 0.49 प्रतिशत हो गई और धीरे धीरे 2006 में 0.52 प्रतिशत तथा 2007
में 0.55 प्रतिशत हो गई है। विदेशी पर्यटकों का आगमन वर्ष 2004 में 3.46 मिलियन से बढ़ कर 2007 में 5 मिलियन अनुमानित किया गया है। इसी प्रकार
पर्यटन से विदेशी मुद्रा का अर्जन 2004 में 6.17 बिलियन (27944 करोड़ रु.) से असाधारण वृद्धि
दर्शाते हुए वर्ष 2007 में 11.96
बिलियन (49413 करोड़ रु.) हो गया विश्व में भारत की पर्यटन
से होने वाली आय 2004 में 0.98 प्रतिशत
से बढ़ कर 2006 में 1.21 प्रतिशत हो
गई। भारत में घरेलू पर्यटकों की संख्या में असाधारण वृद्धि देखी गई अर्थात यह 2004 में 366.23 मिलियन से बढ़ कर 2006 में 462 मिलियन हो गई।
अर्थव्यवस्था में पर्यटन को आय के स्रोत और रोजगार सृजक के रूप में
मान्यता देने के लिए पर्यटन उपग्रह लेखाकरण
(टीएसए) का विकास किया गया है। टीएसएस मंत्रालय को सकल
घरेलू उत्पाद में योगदान देने की दृष्टि से पर्यटन के और रोजगार लाभ को
प्रमात्रात्मक रूप से बढ़ाने (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रभाव) में समर्थ
बनाता है। भारत विश्व में टीएसए विकसित करने वाले कुछ ही देशों में एक है। टीएसए
अध्यन के अनुसार देश के सकल घेरलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान वर्ष 2003-04 में 5.90 प्रतिशत रहा है जबकि पर्यटन क्षेत्रक में
रोजगार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों) उसी वर्ष में 41.8
मिलियन रहा है इसलिए देश में कुल रोजगार का 8.78 प्रतिशत
योगदान रहा है।
'वर्ल्ड ट्रेवल एण्ड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी)'
यात्रा और पर्यटन उद्योग में व्यापार अग्रणियों के लिए एक मंच है।
यह उन सभी चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करता है जो विश्व भर के उद्योगों के
सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है। यह यात्रा और पर्यटन के प्रति जागरूकता बढ़ाने
के लिए कार्य करता है जिसे विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में से एक माना जा सकता
है, जहां लगभग 231 मिलियन लोग कार्यरत
हैं और जहां विश्व का 10.4 प्रतिशत से अधिक सकल घरेलू उत्पाद
तैयार किया जाता है। यह पूरी तरह से मान लिया गया है कि भारतीय पर्यटन उद्योग में
वृद्धि की संभाव्यता है और इसमें प्रत्येक के लिए अधिकतम और स्थायी लाभ सुनिश्चित
करना शामिल है। डब्ल्यूटीटीसी के अनुसार वर्ष 2008 में
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 9.9 प्रतिशत पर्यटन हो जाता है,
11.0 प्रतिशत कुल विश्व उत्पाद के प्रति और 8.4 प्रतिशत वैश्विक रोजगार के प्रति जाता है।
इस प्रकार से भारतीय यात्रा और पर्यटन उद्योग की वृद्धि हुई है और यह
विश्वभर में यात्रियों के बीच लोकप्रिय हो रहा हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के
लिए विकास का संचालक है और मूल संचना की स्थायी विकास करने में सहायता करता है
जैसे कि हवाई अड्डा, रेल और सड़क जो विभिन्न पर्यटन
स्थानों को जोड़ता है। इसके अतिरिक्त मौजूदा और नए पर्यटन उत्पादों के सुधार और
विस्तार जैसा कि सांस्कृतिक और धरोहर पर्यटन, ग्रामीण
पर्यटन, साहसिक पर्यटन, स्वास्थ्य
और उपचार पर्यटन, आदि अतुल्य भारत आंदोलन का संवर्धन तथा
राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी उसमें भारत की प्रतिस्पर्द्धी लाभ की इस
क्षेत्रक में स्थापना। इससे देश के विदेशी मुद्रा अर्जन में बढ़ोतरी हुई है तथा
अन्य राष्ट्रों के साथ इसका व्यापार संबंध संवर्धित हुआ है। ऐसे सभी उपाय और
प्रोत्साहन जो निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा किए जाते हैं वे उद्योग में
अनेक निवेश अवसरों के स्रोत हैं।
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