यह टॉपिक ‘नेपोलियन हिल’ की किताब “सोचिये और अमीर बनिये” से प्रेरित है। इस पोस्ट में लगभग उन सारे पॉइंट्स को डिस्क्राईब किया गया है जिसकी वजह से आप या हम सफल होने से चूक जाते हैं।
इस लाइफ में सफलता को लेकर सबसे बड़ा उलझन यह है कि बहुत से लोग खुद को सफल होने के लिए समर्पित कर देते हैं, जोर लगाकर प्रयास करते हैं इसके बावजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिलती। सोचने वाली बात यह है कि ज्यादातर लोग इस दुनिया में असफल होते हैं और सिर्फ चंद लोग या बहुत ही कम लोग ही सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँच पाते हैं।
‘नेपोलियन हिल’ ने असफल होने और सफलता प्राप्त करने वाले लोगों का गंभीरता से विश्लेषण किया। और उनके शोध में असफलता के पीछे 31 प्रमुख कारणों का पता चला और इस पोस्ट में उनमें से 20 कारणों का विस्तार से वर्णन किया जा रहा है। जब आप इन पॉइंट्स को पढ़ें तो खुद के अंदर झांककर देखें कि कहीं इनमें से एक आदत की वजह से भी आप असफल तो नहीं हो रहे।
(1.) हानिकारक आनुवंशिक पृष्ठभूमि:- यकीन मानिये ऐसे लोग जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते जिनके सोचने की शक्ति ही कमजोर हो गयी हो। मैं ऐसे भी लोगों को जानता हूँ जो न ही कुछ बड़ा सोचते हैं और यदि आप उनसे अपने अच्छे विचार साझा करते हैं, अपने बड़े सपनों के बारे में बात करते हैं। तो उनका रवैया हमेशा आपको गलत साबित करना ही रहता है। यह उस व्यक्ति को हमेशा कमजोर बनाती जायेगी जो सिर्फ नकारात्मकता की भावना लिए जीते हैं। याद रखिये, असफलता और सफलता का प्रतिशत अधिकतर आपके सोच पर निर्भर करता है। यदि आप अपने अतीत को लेकर हमेशा गलत सोच के बैठे रहेंगे कि आपका कुछ नहीं हो सकता तो यकीनन आप उस बात के साथ बुरा समझौता कर रहे होंगे। क्योंकि नकारात्मक सन्देश जो आप स्वयं के लिए दे रहे हैं आपको हमेशा कमजोर बनाएगा।
(2.) जीवन में अच्छी तरह परिभाषित लक्ष्य का अभाव:- जब तक आपको जाना कहाँ हैं, आप तय नहीं करेंगे तो आप हमेशा खुद को भटकता हुआ ही पायेंगे। वह व्यक्ति जो आँख मूंदकर चल रहा हो, जिसका कोई निश्चित लक्ष्य न हो जिस पर वो निशाना साध सके, उसके लिए सफल होने की आश रखना भी एक बहुत बड़ी गलती के बराबर है। मैंने बहुतों को देखा है, जो बिना सही दिशा के ही मेहनत किये जा रहे हैं, जिनका कोई केन्द्रीय लक्ष्य नहीं है। और शत् प्रतिशत यही उनकी असफलता का सबसे प्रमुख कारण है।
(3.) औसत दर्जे से ऊपर उठने की महत्वाकांक्षा का अभाव:- वही व्यक्ति जीवन में कोई बड़ा मुकाम हासिल करते हैं जो हमेशा अपने कार्य के प्रति समर्पित तथा सजग रहते हैं। और इसके विपरीत जो अपना जीवन सिर्फ आलस्य में, बड़े-बड़े ख्वाब देखते हुए, उदासीन होकर बिताते हैं, जो जीवन में न तो खुद आगे बढ़ना चाहते हैं और जिसके अंदर कुछ पाने के लिए कीमत चुकाने की इच्छा भी नहीं होती उसके सफलता के बारे में सोचना, कोई बुद्धिमानी की बात नहीं होगी।
(4.) अपर्याप्त शिक्षा:– शिक्षा वह माध्यम है जो आपको ऊँचाइयों तक ले जाने में आपकी सहायता करती है। शिक्षित व्यक्ति बनने के लिए सिर्फ कॉलेज की डिग्री ही काफी नहीं होती है। शिक्षित आदमी वह होता है जिसने वह चीज पाना सीख लिया है जो जीवन में पाना चाहता है और इस पूरी प्रक्रिया में वह दूसरों के अधिकारों का हनन नहीं करता। अनुभव से ये बात साबित हो चुकी है कि सर्वश्रेष्ठ शिक्षित लोग अक्सर वे होते हैं जो “स्व-निर्मित” या “स्व शिक्षित” होते हैं। इस बात को समझना बहुत ही जरूरी है कि लोगों को सिर्फ उनके ज्ञान के लिए पैसे नहीं मिलते बल्कि, इस बात के पैसे मिलते हैं कि वे अपने ज्ञान का किस तरह उपयोग करते हैं। शिक्षा के माध्यम से ही अपने अंदर उन गुणों को विकसित किया जा सकता है जिसके द्वारा आप एक सफल इंसान बन सकते हैं।
(5.) आत्म-अनुशासन की कमी:- अनुशासन का सीधा सम्बन्ध आत्मनियंत्रण से है। आत्मनियंत्रण मतलब खुद को पूरी तरह से अनुशासित करके रखना। खुद को अनुशासित करना सबसे कठिन कार्य रहता है। लेकिन याद रखिये आप ही वो इंसान हैं जो आपकी जिंदगी बदल सकता है। शीशे के सामने खड़े होने पर आपको अपना सबसे अच्छा दोस्त और अपना सबसे बड़ा दुश्मन एक साथ खड़ा नजर आयेगा। बेहतर होगा कि हम अपने नकारात्मक गुणों पर ज्यादा से ज्यादा कंट्रोल करने की कोशिश करें।
(6.) बुरा स्वास्थ्य:- मेरे अनुसार सेहत है तो सफलता है। पर कभी-कभी या ज्यादातर मैं खुद भी अपने काम में इतना डूब जाता हूँ कि मेरा सेहत खराब होना निश्चित हो जाता है। बिना अच्छी सेहत के सफलता का सुख भोगना संभव ही नही है। मुझे इसका एहसास तब होता है जब मैं खुद इस बात का पालन नहीं करता और बीमार पड़ जाता हूँ। बुरे स्वास्थ्य के कई कारणों पर काबू पाया जा सकता है। इनमें से मुख्य हैं:-
अ. सेहत खराब होने का प्रमुख कारण हानिकारक भोज्य पदार्थ की अधिकता है।
स. उचित शारीरिक व्यायाम का अभाव होना।
द. नकारात्मक विचारों को मन में शरण देना।
(7.) टालमटोल की आदतें:- टालमटोल की आदत एक भयानक बीमारी के समान है। क्योंकि यह इंसान के लिए सफलता के दरवाजों को बंद कर देता है। टालमटोल करने वाला बूढ़ा आदमी हर इंसान की छाया में खड़ा रहता है और इंतजार करता है कि कब उसे सफलता के अवसर को बिगाड़ने का मौका मिले।
हममें से अधिकांश लोग जीवन भर इसलिए सफल नहीं हो पाते क्योंकि हम किसी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने से पहले “सही समय” का इंतजार करते हैं। इंतजार मत कीजिये। समय कभी भी पूरी तरह से सही नहीं होगा… जहाँ आप खड़े हैं, वहीँ पर शुरू कर दीजिए और आपके पास जो औजार हैं उन्हीं से काम करना शुरू कर दीजिए। जब आप आगे बढ़ते जायेंगे तो बेहतर औजार आपको अपने आप मिलते जायेंगे। लेकिन बस आप अपने काम में टालमटोल मत कीजिये। आपका मन जिस कार्य को करना चाहता है, उसे करने की इजाजत दीजिए और वो करिये जो सचमुच आप करना चाहते हैं।।
(8.) लगन का अभाव:- हममें से अधिकांश लोग शुरूआत करने में तो बहुत ही अच्छे होते हैं परन्तु अपने शुरू किये गए काम को पूरा करने में बहुत ही कमजोर होते हैं। यही नहीं, लोगों की यह एक बुरी आदत भी होती है कि वे पराजय की संभावना नजर आते ही हिम्मत हार जाते हैं। याद रखिये लगन का कोई विकल्प नहीं होता। वह आदमी जो लगन को अपना मंत्र बनाता है, वह यह पाता है कि असफलता आख़िरकार थक चुकी है और उसके जीवन से हमेशा-हमेशा के लिए दूर जा चुकी है। असफलता कभी भी लगन का मुकाबला नहीं कर सकती।
(9.) निर्णय की उचित शक्ति का अभाव:- जो लोग सफल होना चाहते हैं वे तत्काल निर्णय पर पहुँचते हैं और अगर वे उन निर्णयों को बदलते हैं तो बहुत देर से बदलते हैं। जो लोग असफल होते हैं वे या तो निर्णय ही नहीं ले पाते या फिर बहुत देर से निर्णय लेते हैं और फिर पल भर में पलटकर निर्णय बदल देते हैं। अनिर्णय और टालमटोल जुड़वाँ भाई की तरह हैं। जहाँ एक मिलेगा, आम तौर पर दूसरा भी वहीँ मिलेगा। इन जुड़वाँ भाइयों को मार डालें इससे पहले कि वे आपको असफलता के खूंटे से बांध दें।
(10.) विवाह में गलत जीवन साथी का चुनाव:- गलत जीवनसाथी का चुनाव असफलता के सबसे आम कारणों में से एक है। विवाह का रिश्ता लोगों को अन्तरंग रूप से करीब लाता है। जब तक आप अपने गृहस्थ जीवन में सुख की अनुभूति नहीं करेंगे, तो असफलता निश्चित रूप से आपका पीछा करेगी। इससे भी बड़ी बात यह है कि यह असफलता का ऐसा रूप होगा जिसमें दुःख और कष्ट हैं, जो महत्वाकांक्षा के सभी लक्षणों को नष्ट कर देंगे
(11.) उत्साह का अभाव:- कोई भी कार्य बिना उत्साह के संभव ही नहीं है। उत्साह के बिना आप आने अंदर किसी भी प्रकार का विश्वास नहीं जगा सकते। यही नहीं, उत्साह संक्रामक होता है और जिसमें यह नियंत्रित अवस्था में होता है, उस व्यक्ति का आम तौर पर सभी लोग स्वागत करते हैं।
12.) प्रयास में एकाग्रता का अभाव:- सभी कामों में थोड़ी-बहुत जानकारी रखने वाला व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में विशेष निपुण नहीं होता.. अपने सभी प्रयासों को एक निश्चित और प्रमुख लक्ष्य पर केंद्रित और एकाग्र करें। जब तक आप अपने लक्ष्य से भटकते रहेंगे, सफलता आपसे पीछा छुडाती रहेगी।
(13.) असंयम:- असंयम के सबसे विनाशकारी रूप भोजन, मदिरा और सेक्स की गतिविधियों से सम्बंधित हैं । इनमें से किसी में भी अति, सफलता के लिए घातक होती है।
(14.) असहिष्णुता:- इसका अर्थ होता है कि आप अपने दिमाग में नये विचारों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं देते। आपने कुछ नया सीखना बंद कर दिया हो। बंद दिमाग वाला आदमी अपवाद स्वरुप ही आगे बढ़ पाता है। असहिष्णुता के सबसे विनाशकारी रूप धर्म, प्रजाति और राजनैतिक विचारों के मतभेदों से सम्बन्धित हैं…
(15.) अति-सावधानी:- वह व्यक्ति जो जरा भी जोखिम नहीं लेता, आम तौर पर उसे वही मिलता है जो बचा रहता है. क्योंकि दूसरे लोग जिन्होंने जोखिम लिया, अच्छी चीजें चुनकर ले जा चुके हैं.. अति- सावधानी भी उतनी ही बुरी है जितनी कि कम-सावधानी। दोनों तरह की अति से बचें.. यह कतई न भूलें कि जीवन में जोखिम का तत्व हमेशा रहता है।
(16.) जान-बूझकर की गई बेईमानी:- ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है। परिस्थितियों के दबाव के कारण, जिन पर इंसान का कोई नियंत्रण नहीं होता, कोई भी क्षणिक तौर पर बेईमानी कर सकता है। और इससे कोई स्थायी हानि नहीं होगी.. परन्तु ऐसे आदमी के लिए कोई आशा नहीं है जो जान-बुझकर बेईमानी का रास्ता चुनता है। देर सबेरे उसे अपने कार्यों का फल मिलेगा और इसका परिणाम यह हो सकता है कि उसकी प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाये या वह अपनी स्वतंत्रता तक गँवा बैठे।
(17.) घमंड और अहंकार:- घमंडी इंसान और अहंकारी व्यक्ति, इनके जीवन में हर कदम पर असफलता का टिकाव रहता है. ये दोनों गुण लाल बत्तियाँ हैं जो दूसरों को दूर रहने की चेतावनी देती हैं.. यह दोनों सफलता के लिए घातक हैं।
(18.) फिजूलखर्ची की आदत:- फिजूलखर्ची आदमी कभी भी सफल नहीं हो सकता और इसका प्रमुख कारण यह है कि वह हमेशा गरीबी के डर में जीता है.. अपने आय में से एक निश्चित हिस्सा अलग रखकर नियोजित बचत की आदत विकसित करें.. जब आप व्यक्तिगत सेवाओं की बिक्री में सौदेबाजी करेंगे तो बैंक में रखा पैसा आपके साहस की सुरक्षित आधारशिला होगा.. पैसे के बिना आपको वह लेना होगा जो आपको दिया जा रहा है और आपको वह पाकर खुशी होगी..
(19.) अन्धविश्वास और पूर्वाग्रह:- अन्धविश्वास डर का एक भयानक रूप है। यह अज्ञानता की निशानी भी है.. जो लोग सफल होते हैं वे अपने दिमाग खुले रखते हैं और किसी भी चीज से नहीं डरते..
(20.) नकारात्मक व्यक्तितत्व:- ऐसे आदमी के लिए सफलता के लिए कोई आशा नहीं है जो नकारात्मक व्यक्तित्व के कारण लोगों को अपने से दूर कर देता है.. सफलता शक्ति के प्रयोग के द्वारा आती है.. और शक्ति दूसरे लोगों के सहयोग पूर्ण प्रयासों के द्वारा हासिल की जाती है… नकारात्मक व्यक्तित्व से सहयोग नहीं मिलता…
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